Thursday, May 21, 2009

साथ इसके चल तू

जमाने के साथ चलना प्यारे
जमाना तुझे चलना सिखा देगा
जहां की तूने इससे बगावत
तो यह तुझे ठुकरा देगा-

जीवन के नियम बदल तू
इसकी डगर पर चल तू
जहां तूने नया रास्ता निकाला
तो यह तुझे मिटा देगा-

स्वाभिमानी मत बन
हितेषी बनकर काम कर
जहां तूने व्यवहार बदला
तो यह तुझे हरा देगा-

रास्ता है कठिन
पर मंजिल तक पहुंचना है
साथ इसके चल तू
तो यह तुझे पार लगा देगा-2
मनोज कुमार राठौर

Sunday, May 17, 2009

जो जीता वही सिकंदर

मनोज कुमार राठौर
जो जीता वही सिकंदर, सही है। इसमें वोटरों की गलती है और नेताओं की। जो परिणाम आए वे सही आए। जहां एक ओर मनमोहन, सिंह बने, वहीं दूसरी ओर आडवानी को निराशा हाथ लगी कांग्रेस , भाजपा या अन्य पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। लेकिन जीत कांग्रेस की हो गई। एक बार फिर केन्द्र में कांग्रेस की सरकार और डा. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनेगें। भाजपा को जनता ने पसंद नहीं किया। इसमें चैकाने वाली बात नहीं है। जनता जनार्दन होती है। जो करती है वह हितों को देखते हुए करती है। आने वाली लोकसभा चुनाव में जनता को शायद कांग्रेस की रासलीला रास नहीं आए और भाजपा की सरकार बन जाए। जीत-हार का फैसला तो जनता करती है। 543 सदस्यीय लोकसभा में कांग्रेस नेतृत्व के यूपीए को 261 सीटें मिली हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को दोबारा सरकार बनाने के लिए 11 सीटों की जरूरत है। इसके लिए उसके अधिक जोड़तोड़ नहीं करना पड़ेगी। यूपीए के पक्ष में गए चुनाव नतीजों ने राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील का काम आसान बना दिया है। उन्होंने, संवैधानिक और कानूनी विशेशाज्नों से सलाह लेने का विचार त्याग दिया है।
भाजपा और उसके एनडीए सहयोगियों के लिए चुनाव नतीजे निराशाजन रहे। गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याषी लालकृष्ण आडवनी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देने की पेशकश की, जिसे पार्टी ने नामंजूर कर दिया है। इसी के साथ महीनों से जो दर्जनों लोगों के प्रधानमंत्री बनने की चर्चाएं चल रही थी, उनके सपने चूर-चूर हो गए हैं। एनडी के खाते में 160 सीटें रही हैं। भाजपा को 116 सीटें मिली हैं। 2004 में उसे 138 सीटें मिली थी। कांग्रेस पार्टी की अप्रत्याशित सफलता उत्तरप्रदेश 20 सीट, आँध्रप्रदेश 29, राजस्थान 19, केरल 19, महाराष्ट्र 17,मध्यप्रदेश 12 सीटों पर आधारित है। उसके सहायोगियों तमिलनाडु में तृणमूल में द्रमुक 27 सीट और पष्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस 19 सीट पर जीत मिली।
कांग्रेस की जीत का श्रेय उसकी रणनीतियों द्वारा किए गए कार्यों को जाता है। जनता कुछ भी सोचे, कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर सत्ता में आकर साबित कर दिया है कि उसने अपने कार्यकाल में कोई अनैतिक गलत कार्य नहीं किए थे। वहीं भाजपा को निराशा हाथ लगने की सबसे बड़ी वजह उसकी बिगड़ती राजनीति है। उन्हें उनका जोश और उत्साह ले डुबा। सरकार बनी भी नहीं थी कि उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम का राग अलापना शुरू कर दिया। कारण कुछ भी जो आंखों के सामने है, वह सत प्रतिशत सही है। भाजपा को जनता ने एक सिरे से नकारा, लेकिन यह संभव नहीं है कि उसकी सरकार सत्ता में नहीं सकती। मध्यप्रदेश में तो भाजपा का परचम लहराया है इसका एक मात्र कारण है, वे है विकास। कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही हुआ। उसने अपने कार्यकाल में कहीं कहीं विकास किया होगा। इसलिए जनता ने उसे विजय बनाया। मतगणना में जो परिणाम सामने आए है उससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस को जनता ने पंसद किया।