मनोज राठौर भारत का कानून खुश होगा कि उसने देश की राजधानी स्थित गेटबे आॅफ इंडिया तथा झावेरी बाजार क्षेत्र में वर्ष 2003 में हुए दो बम विस्फोटों करने वाले आरोपी मोहम्मद हनीफ सईद, उसकी पत्नी फहमिदा और अशरत अंसारी को सजा ए मौत की सजा सुनाई। सात साल बाद सजा सुनाने वाला कानून अब बूढ़ा और थक सा गया है। काम तो बहुत बड़ा था क्योंकि बम विस्फोट में 54 लोग मरे और 244 भारत के नागरिक घायल हुए थे। ऐसे में आरोपियों को सजा सुनने में थोड़ी तो शर्म आई होगी। आरोपी भी यही सोच रहे होंगे की भारत जैसा कानून अमेरिका में लागू हो जाए, तो उसे चंद मिनटों में निस्तेनाबूद कर देगें। पर बेचारे वहां की सजा से खौफ खाते हैं। जेल में हराम की रोटी तोड़ने वाले आरोपियों को सात साल बाद सजा कम लग रही होगी। अदालत में सजा सुनने समय आरोपियों के चेहरे पर डर का भाव तक नहीं था। उन्हें इस बात का भय बिल्कुल नहीं सता रहा था कि उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। आतंकवादियों ने सजा को शहीद के रूप में स्वीकार कर लिया। यदि हमारे कानून सजा को सात साल से पहले ही सुना देता तो शायद शहीदों के परिजन अपनी छाती ठोक कर यह गर्व से कह सकते थे कि यह है मेरे देश का कानून। लेकिन अब स्थित यह हो गई है कि भारत का हर एक नागरिक बोल रहा है ‘‘मेंरे देश का कानून बूढ़ा हो गया है।‘‘
हमारे देश की मेहमान नबाजी तो आरोपियों को भा सी रही है। इसी कारण से पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयाबा आतंकी संगठन भारत में स्वतंत्रता दिवस से पहले तबाही मचाने के लिए साजिश रच रहा है। इस बार उसके निशाने पर दिल्ली, कोलकाता और हैदराबाद हैं। हमारी खुफिया एजेंसी की मेहरबानी है कि वक्त से पहले साजिश का पता चल गया। वरना फिर एक बार देश खून से लतपत हो जाता। इस सूचना के बाद देश में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया गया। पाकिस्तान को पता नहीं है कि उसकी ओर से जम्मू संभाग में खोदी गई 300-400 मीटर लंबी सुरंग पड़ोसी देश में आ रही है। हालांकि सुरंग के निर्माणक पाकिस्तान इस मामले में कितनी भी चुप्पी साद ले, लेकिन उसकी असलियत और दोगलापन किसी से नहीं छुपा है। सुरंग की जानकारी के बाद आरोपियों ने डर के कारण सुरंग का काम रोक दिया है।
बूढ़े कानून की थकावट -25 अगस्त, 2003: दक्षिणमुंबईकेझावेरीबाजारऔरगेटवेऑफइंडियामेंविस्फोट, 52 कीमौत, 244 घायल।
विवाह पूर्व कन्याओं का सामूहिक गर्भ परीक्षण कराए जाने के मामले को सड़क से लेकर संसद और विधानसभा में बवाल खड़ा हो गया। यह मामला राज्य सभा में गूंजा और इसे मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस ने भी उठाया। राष्टीय महिला आयोग ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित कर शहडोल भेजने की तैयारी की है। आयोग अध्यक्ष गिरिजा व्या ने कड़ा रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। विवाह समारोह में 14 युवतियां जांच में गर्भवती पाई गई थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर शहडोल में धरना देकर घटना की निंदा की। विरोध करने वालों ने विवाह समारोह में मौजूद रहे विधायक समेत तमाम जिम्मेदार आला अफसरों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत30 जूनकोशहडोलमेंआयोजितसामूहिकविवाहसम्मेलनमेंआई 152 कन्याओंकागर्भपरीक्षणकराया गया था। मध्यप्रदेश विधानसभा में शहडोल जिले में गर्भ परीक्षण कराने का मामला शून्यकाल में उठाया गया। कांग्रेस के रामनिवास रावत ने इस शर्मनाक घटना पर सदन में चर्चा कराने की मांग की। अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने रावत द्वारा रखी गई बात को रिकार्ड में दर्ज होने की बात कहते हुए कहा कि इस संबंध में मेरे कक्ष में आकर चर्चा कर लें। इस घटना की अनेक राजनीतिक दलों के नेता, समाज सेवी संगठन एवं स्वैच्छिक संगठन निंदा कर जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग कर चुके है। इस संबंध में अभी तक राज्य सरकार की तरफ से स्पष्ट रूप से कोई जवाब भी नहीं आया है। इस मामले की सबसे पहले जांच-पड़ताल कर पीपुल्स समाचार के सिटी चीफ राजेन्द्र गहरवार ने जनता के सामने उजागर किया था।
अब वे दिनदूरनहींजबपप्पूसंगदीपूऔरमीनूसंगसीमाकीबारातआपकेघरोंकेबगलसेगुजरेगी| भईपहलेसुनाथापप्पूपासहोगयाहैलेकिनअबतोदीपू, मीनू, सीमासभीपासहोगएहैं| अबवोएकदुसरेकोफ्लाइंगकिस्सदेंगेऔरपुलिसकेवलमूकदर्शकबनीदेखतीरहेगी| भई! अबकौनधारा 14 और 21 काउल्लंघनकरे| किसीकेनिजीकार्यमेंदखलदेनेकाकिसीकोअधिकारनहींहै|बदलतेज़मानेकेसाथ-साथप्यारकीपरिभाषाभीबदलरहीहै| जुहूचौपाटी, विक्टोरियापार्कमेंअबदोलड़केऔरदोलडकियां (माफ़कीजियेगावयस्क) इश्कलड़ायेंगे| औरउनकेमुहसेनिकलेगा " समलैंगिक सम्बन्ध " जराजोरसेबोलोकरंटनहींलगेगा|बहुतहोगयीमजाकऔरमस्ती... आप और हम सभी जानते हैं कि भारत संस्कृति का देश है| लेकिन आज हमारे देश को क्या हो गया है? ऐसा लग रहा है कि पाश्चात्य संस्कृति के भी कान काट लिए गए हों| चौंकिए मत, ये समाज में चंद लोगों कि वजह से ही हुआ है| बहस का मुद्दा धारा 377| है भी बहस का विषय| 149 साल के लम्बे इतिहास में जो पहले नहीं हुआ वो 2 जून, 2009 को हो गया| समलैंगिक सम्बन्ध को क्लीन चिट दे दी गयी| अप्राकृतिक! जिसकी भगवान ने भी मंजूरी नहीं दी किसी को| समाज आज जिस चीज को सही नहीं मानता, उसी को रजामंदी दे दी गयी| माना कि सभी को समान हक मिलना चाहिए| इसका मतलब यह तो नहीं कि जो अमानवीय कृत्य कि श्रेणी में आता है उसे नजरअंदाज कर दिया जाये| तो फिर ऐसा क्यों? यह समाज में रह रहे उन लोगों कि मानसिकताओं के साथ बलात्कार है जो कि समलैंगिक सम्बन्ध को सही नहीं मानते| जरासोचियेकिआनेवालीपीढीपरइसकाक्याअसरपड़ेगा? कलतकजिसकार्यकोअपराधमानाजाताथा, आजवोअपराधकिश्रेणीमेंनहींहै| शायदहमयेनहींजानतेकिऐसेसम्बन्धकोरजामंदीदेनेसेएड्सजैसेखतरनाकबिमारीकोन्योतादेरहेहैं|
यह लेख मेरे घनिष्ट पत्रकार मित्र अभिषेकराय द्वारा लिखा गया है।
भगवानका दूसरा रूप हैं पिताजी। कर्तव्य और जिम्मेदारियों से लदी जिंदगी को अपने कंधों पर ढोने वाले व्यक्ति की दासता को कौन भूल पाया है। उन्हें हर पल याद किया जाता है। चाहे वे दुख हो या सुख। मैं भी कहता हूं कि मेरे पापा भगवान है। दुनिया में यह बात सभी लोग सोचते होंगे। पिता बनने के साथ जितनी खुशी मिलती है, उतना ही दायित्वों में बढ़ोत्तरी भी हो जाती है। पिता को पितृ धर्म निभाने के अलावा संरक्षक, पालक और दोस्त सरीखे होने जैसी जिम्मेदारियों को भी निभाना पड़ता है। फादर्स डे 19 जून 1910 को सबसे पहले वाशिंगटन में मनाया गया। इस शुभ दिन की शुरूआत सोनेरा डोड ने की। सोनेरा जब छोटी थी, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सानेरा को मां का प्यार भी दिया। एक दिन सोनेरा को ख्याल आया कि एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं? इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने राष्ट्रपति स्तर पर फादर्स डे पर अपनी सहमति दे दी। 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनने की आधिकारिक घोषणा की।मशहूर पिता की तपस्या से आज उनके बेटों का समाज में सर्वोच्य स्थान है। भारत देश के किसान पुत्र से लेकर मजदूर वर्ग के पिता ने इस कर्तव्य को जिम्मेदारी से निभाया है। पेश है, कुछ पिता-पुत्र के नाम। जेआरडी टाटा-रतन टाटा हरिवंश राय बच्चन-अभिताभ बच्चन धीरूभाई अंबानी-मुकेश एवं अनिल आदित्य बिरला-कुमारमंगलम बिरला मोतीलाल नेहरू-जवाहरलाल नेहरू पंडित रविशंकर-अनुष्का शंकर महेंद्र द्विवेदी-कृष्ण कुमार द्विवेदी (मेरे घनिष्ठ मित्र) तथ्य कहते हैं दासता -फादर्स डे हमेशा जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। -पहला फादर्स डे 19 जून 1910 को अमेरिका में मनाया गया। -रोम वाले दिवंगत पिता का फरवरी माह में सम्मान करते हैं। -1972 में अमेरिका में फादर्स डे पर स्थायी अवकाश घोषित हुआ। -फादर्स डे पर नेकटाई सबसे मशहूर और प्रचलित दिया जाने वाला उपहार है। यादे पापा की... -अमिताभ बच्चन हरिवंश राय बच्चन हर साल अपने बेटे अमिताभ के जन्म दिन पर एक नई कविता लिखते थे। 1982 में जब अमिताभ बच्चन का एक्सीडेंट हुआ था तब भी उन्होंने एक कविता लिखी थी, लेकिन उसे लिखते हुए वे इमोशनल हो गए और फूट-फूट कर रोने लगे। अमिताभ कहते हैं कि मैंने अपने पिता को इस तरह से रोते हुए कभी नहीं देखा। अमिताभ आज भी पिता की याद आने पर उनके द्वारा लिख गई कविता की इन पंक्तियों को अक्सर गुनगुनाते हुए देखे जा सकते हैं।हर्ष नव, वर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव। -राहुल गांधी 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राहुल गांधी अपने पिता स्वर्गीय राजीव गांधी की गोद में बैठकर रोते हुए लोगों के सामने आए थे। वहीं 25 मई 1991 में पिता की मृत्यु के समय राहुल को अपनी मां सोनिया गांधी को ढांढस बंधाते हुए देखा गया। राहुल कहते हैं मै आज जो भी अपने पिता और पूर्वजों के आशीर्वाद के कारण हूं। राजीव की छवि राहुल के काम में आज भी स्पष्ट झलकती है। -शाहरूख खान फिरोज साहब के इंतकाल का दुख मुझे भी उतना ही है जितना कि फरदीन को, क्योकि मेरे अब्बू का इंतकाल भी कैंसर की वजह से ही हुआ। आज इस बुलंदियों को छूने के बाद भी जिंदगी में कहीं कोई कमी रह गई, क्योकि आज वे दुनिया से जा चुके हैं जो इस समय मेरी कामयाबी को देखकर इतना खुश होते जितना कोई दूसरा नहीं हो सकता। -मीरा कुमार लोकसभा की पहली महिला स्पीकर का पद संभालने वाली मीरा कुमार अपनी सफलता का श्रेय अपने स्वर्गीय पिता जगजीवन राम को देती हैं। मीरा के लोकसभ में स्पीकर बनते ही लोगों के दिलों में उस जमाने की याद ताजा हो गई जब वे अपने पिता जगजीवन राम के साथ जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात कर ने तीन मूर्ति भवन जाती थी। मीरा कहती है कि जब 1967 में बाबूली स्वतंत्र पार्टी के अग्रिभेज से कड़ा संघर्ष करते थे तो मैं भी उनके साथ एंबेसडर कार से गांव-गांव जाती थी। उसकी वक्त उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि लोगों की सेवा का सबसे अच्छा माध्यम राजनीति में आना हो सकता है। बाबूजी के निधन के बाद वर्ष 89 में पहली बार चुनाव में किस्मत आजमाने वाली मीरा को जहां लगाातार दो बार असफलता मिली, वहीं विभिन्न राजनैतिक मोर्चों पर संघर्ष करते हुए आज मीरा कुमार लोकसभी की पहली महिला स्पीकर पद पर विराज मान है। ऐसे ही कई हस्तियां है, जिनकी सफलता के पीछे उनके पिता की कड़ी मेहनत, तपस्या छिपी है। इस बात को उनके बेटे-बेटी स्वयं मानते है। महसूस करो उस पल को जिसे तू ने साथ गुजारा आज उनकी याद करो तुम जिसने तुझे चलना सिखलाया
सरकार पोटा तो लागू नहीं कर पाई, गुजकोका को क्या खाक लागू करेगी।
मनोजकुमारराठौर आतंकवादपरलगामकसनेकेलिएबनाएगएकठोरकानूनहवाकीतरहछूहोगएहैं।पोटाकेबादगुजकोकाकोभीसरकारनेसिरेसेखारिजकरदियाहै।बहानाथाकिइसकानूनमेंसंशोधनकरनेकीगुंजाईशहै।हालांकिपूर्वराष्ट्रपतिडा. अब्दुलकलामनेआतंकवादकेसंदर्भमेंकहाथाकिआतंकवादएकवैश्विकखतराहैऔरउससेनिपटनेकेलिएसंयुक्तराष्ट्रआतंकवादनिरोधकबलकागठनहोनाचाहिए।उन्होंनेकहाकिदेशहीनहींसाराविश्वआतंकवादकोझेलरहाहै।कलामनेसहीकहा।लेकिनउनकीसुननेवालाकौनहै।कलामकेअलावाभीदेशकेकईमहानविद्ववानोंनेइसविषयपरअपनेविचारदिएहैं।अभीतकआतंकवादकोसंरक्षणदेनेवालेकानूनोंपरजोरदिया।सरकारकिसीकीभीहोकानूनतोदेशहितकेलिएबनाताहै।परनजानेक्योंआतंकवादजैसेअभिशापकोखत्मकरनेकेलिएकानूनलागूनहींहोते।आखिरगलतीसरकारकेप्रबंधनकीहै, जोइसकानिर्वाहकरेबिनाउसेगलतठहरादेतीहै। पोटा के बाद गुजरात के आतंक रोधी विधेयक (गुजकोका) पर सरकार के फैसले की गाज गिरी है। फैसले का सम्मान करते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि पोटा से सख्त प्रावधान वाला कोई विधेयक अगर केन्द्र सरकार के पास भेजा जाएगा तो स्वभाविक रूप से उस पर ऐतराज होगा। आतंकवाद के विरोध में पोटा तो लागू नहीं हुआ और अब सरकार गुजकोका को क्या खाक लागू करेगी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से यह सिफारिश करने का फैसला किया है कि विधेयक को गुजरात सरकार को वापस लौटाया जाए ताकि मंजूरी के लिए उस पर विचार करने से पहले उसमें तीन महत्वपूर्ण संशोधन किए जा सकें। गुजकोका में एक यह प्रावधान है कि पुलिस अधिकारी के सामने दिया इकबालिया बयान अदालत में भी मान्य होगा। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। कानून के एक अधिनियम के अनुच्छेद में कहा गया कि अगर सरकारी वकील ने विरोध किया तो अदालत जमानत नहीं दे सकती। जबकि अदालत के पास जमानत देने का अधिकार होना चाहिए। इन दोनों के अलावा गृहमंत्री ने इस अधिनियम की धारा 20(सी) में भी संशोधन की जरूरत बताई। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस धारा में किस बात का उल्लेख है। चिदंबरम ने कहा कि एक बाद इन संशोधनों के पूरा हो जाने पर मंत्रिमंडल इस मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजने की स्थिति में होगा। मंुबई, अहमदाबाद, बेगंलुरूमेंहुएआतंकवादीहमलोंमेंबेगुनाहोंकीजानगईथी।लेकिनहमारीआदर्शवादीसरकारयहभूलगईहैकिजोलोगमारेगएथेवेकिसीकेबेटे, किसीकेपतिऔरकिसीकेआंखकेतारेथे।सरकारकोजल्दसेजल्दपोटाओरगुजकोकालागूकरदेनाचाहिए।
रास्ता वही जो किसी दिशा की ओर ले जाए। बात ऐसी हो जो सभी के मन को भाए। ऐसा ही ज़ज्बा लेकर मैंने पारखी नज़र नाम का ब्लाक बनाया है। जिसमें जांची, परखी और सत्य बातों को सहज ढंग से ब्लाक में प्रकाशित किया जाएगा। मेरा पत्रकारिता से नज़दीक का नाता रहा है। मेरी लिखने और पढने में रूचि है। पत्रकारिता के माद्यम से मैं लोगों को जागरूक करना चाहता हूं क्योकि लेखक का हाथियार उसकी कलम होती है। मैं पत्रकारिता को अपना भगवान मानता हूं और उसकी पूजा, अपनी रचनाओं को समर्पित करके करता हूं। मैंने इसकी पूजा निरंतर रखने के लिए एक मंदिर की स्थापना की है जो पारखी नज़र ब्लाक के नाम से प्रदर्शित है। मैंने पत्रकारिता में मास्टर डिग्री की है और पत्रकारिता क्षेत्र में कार्यरत हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे ब्लाक को सभी पाठक पढे और इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे। पत्रकारिता क्षेत्र से जुडे लोगो और लिखने में रूचि रखने पाठकों के लिए मेरा ब्लाक खुला है। आप अपनी राय ब्लाक पर या फिर मेरी ईमेल आईडी पर प्रेषित कर सकते हें।
होंसला आसमा छूने का हो तो ।
एक छोटी सी उडान काफी है।।