Monday, February 9, 2009

वोट के पीछे सारे नेता

1
मंदिर मस्जिद क्या है
सब है एक समान
वोट के पीछे सारे नेता
देष का करते बंटाधार।
2
विवादों में उलझाते हैं
सामप्रदायिकता भड़काते
वोट के पीछे सारे नेता
मर्यादा तक भूल जाते।
3
हिन्दू मुस्लिम भाई हैं
भाषणों में डींगें हाकते
वोट के पीछे सारे नेता
सच्चाई की चादर ढकते।
4
जीतने का हित छिपा है
लोगों को भटकाते
वोट के पीछे सारे नेता
मानवीय सीमा लांघ जाते।
5
गलियों में शोर मचाते हैं
युद्ध सा माहौल बनाते
वोट के पीछे सारे नेता
आपस में लड़वाते।

मनोज कुमार राठौर

Wednesday, February 4, 2009

समय ने करवट बदला

1
समय ने करवट बदला
जिंदगी तबहा हो गई
हालात ही कुछ ऐसे रहे
उठती खुआइशे सो गई।

2
जब कुछ नया सोचा
किस्मत खराब निकली
समय ही कुछ ऐसा रहा
तसल्ली से बात हो गई।

3
निर्माण की नींव रखी
सपना कांच सा टूटा
रास्ता ही कुछ ऐसा रहा
गुमनाम राहें साथ हो गई।


मनोज कुमार राठौर

Tuesday, February 3, 2009

पैरों में छाले पड़ न जाए।

1
इतनी ऊंची उड़ान न भरना
आसमा देखे और शर्मा जाए
दूर इतने ही जाना
निचे खड़े लोग देख पाए।
2

कदम जल्दी न बढ़ना
पत्थरी जमीन पर चलना
जरा नीचे भी देखना
पैरों में छाले पड़ न जाए।
3
मुंह के पर खड़े न रहना
दुनिया के रंगों में ढलना
बातंे तोल के करना
कहीं जुवां फिसल न जाए।

मनोज कुमार राठौर

Monday, February 2, 2009

यूं खत्म बात थी...

1
वे वहां से आ रही थी
मैं यहां से जा रहा था
दोनों में टकरार हुई
यूं शुरू बात हुई।
2
उसने कहा आएम सोरी
मैंनें कहा गलती मेरी थोड़ी
उसी समय बरसात हुई
यूं शुरू बात हुई।
3
ट्रेन में वे जा बैठी
मैं सामने खड़ा रहा
सफर की शुरूबात हुई
यूं शुरू बात हुई।
4
सफर में उसने देखा
मैंनें भी उसे देखा
आंखों ही आंखों में बात हुई
यूं शुरू बात हुई।
5
देखते-देखते सफर में
कब वे स्टेशन पर उतर गई
यही आखरी मुलाकात थी
यूं खत्म बात थी।
मनोज कुमार राठौर


Sunday, February 1, 2009

क्या भगवान को देखा है


1

समस्याओं की भरमार
गरीबी से बेहाल हंै
भ्रष्टाचार बढ़ रहा
रगं बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।

2
अन्याय हो रहा
मौलिकता खत्म है
मानवता का पता नहीं
रंग बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।

3
लालच पल रहा
आपस में लड़ते हैं
संवेदनओं का पता नहीं
रंग बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।
4
अत्याचार हो रहा

मानवता बिकती है
ईमानदारी का पता नहीं
पूछता हूं इस दुनिया से
क्या भगवान को देखा है।

मनोज कुमार राठौर