Friday, January 30, 2009

वही पुरानी कलम...


सोते-सोते याद आया
मुझे कुछ लिखना है
वही पुरानी कलम
सफेद कागज पर घिसना है।
सोचा क्या लिखंू
मगर कुछ लिखना है
वही पुरानी कलम
सफेद कागज पर घिसना है।

लेखक कहलाता हूं
किसी पर तो लिखना है
वही पुरानी कलम
सफेद कागज पर घिसना है।

खबरें तो बहुत लिखी
किसी भ्रष्ट नेता पर लिखना है
वही पुरानी कलम
सफेद कागज पर घिसना है।

इस कला से इतिहास लिखूं
किसी से क्या डरना है
वही पुरानी कलम
सफेद कागज पर घिसना है।

मनोज कुमार राठौर

Tuesday, January 27, 2009

फैसला कैसे होगा...

1
कौन जिंदा है, कौन मुर्दा है
फैसला कैसे होगा
अपनी करनी पर सभी शर्मिदा
तो कौन खुश होगा।


कौन है भ्रष्ट जन
फैसला कैसे होगा
सभी भ्रष्ट खाते
रिष्वत
तो कौन खुश होगा।

3
कौन है बलात्कारी
फैसला कैसे होगा
चीरहरण करते सब
तो कौन खुश होगा।

4
कौन है पापी
फैसला कैस होगा
सभी पाप के भागी हैं
तो कौन खुश होगा।

5
कौन है आरोपी
फैसला कैसे होगा
सफेद पोषाक में सभी खड़े
तो कौन खुश होगा।


मनोज कुमार राठौर

Monday, January 26, 2009

इसका वक्त गवा है...


1
वतन के लोगों
सलामत रहो तुम
मुल्जिम है कौन
इसका वक्त गवा है...
2
न्याय के साथी
अन्याय न करना
आरोपी है कौन
इसका वक्त गवा है...
संविधान की परंपरा
बचाना तेरा कर्म
बलिदानी है कौन
इसका वक्त गवा है...

देश के खातिर
जान भी देना
देशद्रोही है कौन
इसका वक्त गवा है...


मनोज कुमार राठौर

Sunday, January 25, 2009

अदालत में भगवान है...


1
इस मतलबी दुनिया में
सियाने लोग बसते हैं
ऊपरी मन से हंसते
अंदर से साजिश रचते हैं।

2
दिखावेे तो बहुत हैं
इस रंग बदलती
दुनिया में
वादे तो बहुत करते
पर निभाने से डरते हैं।
3
कहते हैं काम हो जाएगा
हम देख राह थकते हैं
वादे तो निभाते नहीं
और सर पर हाथ रखते हैं

4
अदालत में भगवान है
सभी को सजा देगें
मगर ऊपर से वह भी
तमाशा देख हंसते हैं।

मनोज कुमार राठौर

Thursday, January 22, 2009

पत्रकार की परिभाषा बदली


1
पत्रकार की परिभाषा बदली
पहले पत्र को गढ़ता था
अब कार में चलता है।

हथियार उसका बदल गया
पहले कागज पर लिखता था
अब कम्प्यूटर पर काम करता है।

लिखने का अंदाज है बदला
पहले सत्य रचता था
अब भ्रष्ट पर लिखता है।

मनोज कुमार राठौर

Saturday, January 17, 2009

बेच दिए कफन हैं...

1
मरघटी इस दुनिया मंे
सब के सब दफन हैं
जिंदा लोगों के अफसरों ने
बेच दिए कफन हैं।

2
नेताओं के भाषण में
सब के सब भ्रम हैं
ऐसे हालात देखकर
हम भी आज दंग हैं।
3
करनी इन नेताओं की
आज भरना पड़ रही
भारत और पाकिस्तान मंे
इसलिए यह जंग है।
--मनोज कुमार राठौर

Thursday, January 15, 2009

पर दूसरों से कुछ कह नहीं पाए

1
रोकने की तमन्ना सबकी थी
पर हम रूक नहीं पाए
हस्तंे - हस्तंे सह लिया सबको
पर दूसरों का दुख सह नहीं पाए
गलतियाँ सब ने की है
पर हम रो नहीं पाए
धोखा सह लिया सबका
पर दूसरों का दर्द सह नहीं पाए

मजाक सब ने उड़ाया था
पर हम कह नहीं पाए
दर्द ले लिया सबका
पर दूसरों को गम दे नहीं पाए

दर्द सब ने दिया है
पर हम बता नहीं पाए
मौहब्बत की है सबसे
पर दूसरों को दुख दे नहीं पाए

5
हालात सुधरने लगेे हैं
पर लोग देख नहीं पाए
किसी के बारे में क्या कहूं
पर दूसरों से कुछ कह नहीं पाए
-मनोज कुमार राठौर

Tuesday, January 13, 2009

काम सदा सफल मिलेगा

कोशिश करोगे फल मिलेगा
हर मुश्किल का हल मिलेगा
नामुराद दुनिया पर भरोसा मत करना
कहीं धोखा, तो कहीं गम मिलेगा।

रास्ते पर राही मिलेगा
कुछ दूर तक हमसफर मिलेगा
किसी को अपना साथी मत बनाना
वही दोस्त तुम्हारा कातिल मिलेगा।

धन दौलत खुब मिलेगी
प्रतिष्ठा व सम्मान मिलेगा
भूल के भी घमंड मत करना
वही घमंड तुझे ले डूबेगा

सब्र का फल मीठा होता है
जल्दी का काम दुश्मन का होता है
जीवन में धैर्य बनाए रखना
काम सदा सफल मिलेगा।


मनोज कुमार राठौर

Friday, January 9, 2009

तुम गलत, हम पाक निकले

1
यकीन किस पर करूं
सब यूं बेबफा निकले
जिस पर किया भरोसा
वह भी दगेबाज निकाले।

हर पल उसके साथ
वह हमारे खास थे
दगा हमने नहीं दिया
फिर भी वे चलाक निकाले।
क्या करोगे सियाने बनाकर
मालूम है फितरत तुम्हारी
वक्त ने हमें बांध दिया
ऐसे हमारे हलात निकले।
किसी मोड़ पर टकराओगे
हम तुम्हारे काम आयेगें
फिर मत कहना दोस्त
तुम गलत, हम पाक निकले।
मनोज कुमार राठौर