Wednesday, June 30, 2010

तू दगाबाज है, हम नासमझ...

गजल
देखने वाले, देख लेना तू
तुम समझदार हो, हम नासमझ।

मेरी सांस, तेरी जिंदगी

तू दगाबाज है, हम नासमझ...

जिंदा हूं, तेरी धड़कन से
तुम कर्जदार, हम नासमझ।

मेरा दिल, तेरी अमानत

तू दगाबाज है, हम नासमझ...


जान जाएगी, तेरे आंचल में
तुम खुददार हो, हम नासमझ।

धोखा मिला, हमने माफ किया

तू दगाबाज है, हम नासमझ...


मौसम बदले, तेरे नखरे से
तुम लकदार, हो हम नासमझ।

हर समय, तेरी सांसों के लिए

तू दगाबाज है, हम नासमझ...

आंखे नम है, तेरी हरकत से
तुम गददार हो, हम नासमझ।

मेरी उम्र, तूझे लग जाए

तू दगाबाज है, हम नासमझ...


देखने वाले, देख लेना तू
तुम समझदार हो, हम नासमझ।



मनोज
राठौर