Wednesday, July 15, 2009

पहले गर्भ परीक्षण, फिर कन्यादान

विवाह पूर्व कन्याओं का सामूहिक गर्भ परीक्षण कराए जाने के मामले को सड़क से लेकर संसद और विधानसभा में बवाल खड़ा हो गया। यह मामला राज्य सभा में गूंजा और इसे मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस ने भी उठाया। राष्टीय महिला आयोग ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित कर शहडोल भेजने की तैयारी की है। आयोग अध्यक्ष गिरिजा व्या ने कड़ा रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। विवाह समारोह में 14 युवतियां जांच में गर्भवती पाई गई थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर शहडोल में धरना देकर घटना की निंदा की। विरोध करने वालों ने विवाह समारोह में मौजूद रहे विधायक समेत तमाम जिम्मेदार आला अफसरों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 30 जून को शहडोल में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में आई 152 कन्याओं का गर्भ परीक्षण कराया गया था। मध्यप्रदेश विधानसभा में शहडोल जिले में गर्भ परीक्षण कराने का मामला शून्यकाल में उठाया गया। कांग्रेस के रामनिवास रावत ने इस शर्मनाक घटना पर सदन में चर्चा कराने की मांग की। अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने रावत द्वारा रखी गई बात को रिकार्ड में दर्ज होने की बात कहते हुए कहा कि इस संबंध में मेरे कक्ष में आकर चर्चा कर लें। इस घटना की अनेक राजनीतिक दलों के नेता, समाज सेवी संगठन एवं स्वैच्छिक संगठन निंदा कर जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग कर चुके है। इस संबंध में अभी तक राज्य सरकार की तरफ से स्पष्ट रूप से कोई जवाब भी नहीं आया है।
इस मामले की सबसे पहले जांच-पड़ताल कर पीपुल्स समाचार के सिटी चीफ राजेन्द्र गहरवार ने जनता के सामने उजागर किया था।

Saturday, July 4, 2009

समलैंगिक सम्बन्ध " जोर से बोलो करंट नहीं लगेगा"

अब वे दिन दूर नहीं जब पप्पू संग दीपू और मीनू संग सीमा की बारात आप के घरों के बगल से गुजरेगी| भई पहले सुना था पप्पू पास हो गया है लेकिन अब तो दीपू, मीनू, सीमा सभी पास हो गए हैं| अब वो एक दुसरे को फ्लाइंग किस्स देंगे और पुलिस केवल मूकदर्शक बनी देखती रहेगी| भई! अब कौन धारा 14 और 21 का उल्लंघन करे| किसी के निजी कार्य में दखल देने का किसी को अधिकार नहीं है| बदलते ज़माने के साथ-साथ प्यार की परिभाषा भी बदल रही है| जुहू चौपाटी, विक्टोरिया पार्क में अब दो लड़के और दो लडकियां (माफ़ कीजियेगा वयस्क) इश्क लड़ायेंगे| और उनके मुह से निकलेगा " समलैंगिक सम्बन्ध " जरा जोर से बोलो करंट नहीं लगेगा| बहुत हो गयी मजाक और मस्ती...
और हम सभी जानते हैं कि भारत संस्कृति का देश है| लेकिन आज हमारे देश को क्या हो गया है? ऐसा लग रहा है कि पाश्चात्य संस्कृति के भी कान काट लिए गए हों| चौंकिए मत, ये समाज में चंद लोगों कि वजह से ही हुआ है| बहस का मुद्दा धारा 377| है भी बहस का विषय| 149 साल के लम्बे इतिहास में जो पहले नहीं हुआ वो 2 जून, 2009 को हो गया| समलैंगिक सम्बन्ध को क्लीन चिट दे दी गयी|
अप्राकृतिक! जिसकी भगवान ने भी मंजूरी नहीं दी किसी को| समाज आज जिस चीज को सही नहीं मानता, उसी को रजामंदी दे दी गयी| माना कि सभी को समान हक मिलना चाहिए| इसका मतलब यह तो नहीं कि जो अमानवीय कृत्य कि श्रेणी में आता है उसे नजरअंदाज कर दिया जाये| तो फिर ऐसा क्यों? यह समाज में रह रहे उन लोगों कि मानसिकताओं के साथ बलात्कार है जो कि समलैंगिक सम्बन्ध को सही नहीं मानते|
जरा सोचिये कि आने वाली पीढी पर इसका क्या असर पड़ेगा? कल तक जिस कार्य को अपराध माना जाता था, आज वो अपराध कि श्रेणी में नहीं है| शायद हम ये नहीं जानते कि ऐसे सम्बन्ध को रजामंदी देने से एड्स जैसे खतरनाक बिमारी को न्योता दे रहे हैं|
यह लेख मेरे घनिष्ट पत्रकार मित्र अभिषेक राय द्वारा लिखा गया है।