Saturday, July 4, 2009

समलैंगिक सम्बन्ध " जोर से बोलो करंट नहीं लगेगा"

अब वे दिन दूर नहीं जब पप्पू संग दीपू और मीनू संग सीमा की बारात आप के घरों के बगल से गुजरेगी| भई पहले सुना था पप्पू पास हो गया है लेकिन अब तो दीपू, मीनू, सीमा सभी पास हो गए हैं| अब वो एक दुसरे को फ्लाइंग किस्स देंगे और पुलिस केवल मूकदर्शक बनी देखती रहेगी| भई! अब कौन धारा 14 और 21 का उल्लंघन करे| किसी के निजी कार्य में दखल देने का किसी को अधिकार नहीं है| बदलते ज़माने के साथ-साथ प्यार की परिभाषा भी बदल रही है| जुहू चौपाटी, विक्टोरिया पार्क में अब दो लड़के और दो लडकियां (माफ़ कीजियेगा वयस्क) इश्क लड़ायेंगे| और उनके मुह से निकलेगा " समलैंगिक सम्बन्ध " जरा जोर से बोलो करंट नहीं लगेगा| बहुत हो गयी मजाक और मस्ती...
और हम सभी जानते हैं कि भारत संस्कृति का देश है| लेकिन आज हमारे देश को क्या हो गया है? ऐसा लग रहा है कि पाश्चात्य संस्कृति के भी कान काट लिए गए हों| चौंकिए मत, ये समाज में चंद लोगों कि वजह से ही हुआ है| बहस का मुद्दा धारा 377| है भी बहस का विषय| 149 साल के लम्बे इतिहास में जो पहले नहीं हुआ वो 2 जून, 2009 को हो गया| समलैंगिक सम्बन्ध को क्लीन चिट दे दी गयी|
अप्राकृतिक! जिसकी भगवान ने भी मंजूरी नहीं दी किसी को| समाज आज जिस चीज को सही नहीं मानता, उसी को रजामंदी दे दी गयी| माना कि सभी को समान हक मिलना चाहिए| इसका मतलब यह तो नहीं कि जो अमानवीय कृत्य कि श्रेणी में आता है उसे नजरअंदाज कर दिया जाये| तो फिर ऐसा क्यों? यह समाज में रह रहे उन लोगों कि मानसिकताओं के साथ बलात्कार है जो कि समलैंगिक सम्बन्ध को सही नहीं मानते|
जरा सोचिये कि आने वाली पीढी पर इसका क्या असर पड़ेगा? कल तक जिस कार्य को अपराध माना जाता था, आज वो अपराध कि श्रेणी में नहीं है| शायद हम ये नहीं जानते कि ऐसे सम्बन्ध को रजामंदी देने से एड्स जैसे खतरनाक बिमारी को न्योता दे रहे हैं|
यह लेख मेरे घनिष्ट पत्रकार मित्र अभिषेक राय द्वारा लिखा गया है।

1 comment:

  1. bhai bahot acchi rachana hai
    or likhna
    manoj rathore
    parkhinazar

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