हवा में सांस मिलाकरबयान करता हूं
हम भी तूफ़ान ला सकते हैं-2
इतना कमजोर न समझ
हम वो बादल हैं
जो पानी गिरा सकते हैं-2
धैर्य मत आजमा
हम वो सेलाब हैं
जो समुद्र में आ सकते हैं-2
गलती जो रहे मेरी
हम वो बलिदानी हैं
जो सिर कटा सकते हैं-2
मनोज राठौर
हवा में सांस मिलाकर
अच्छी आशावादी कविता है.....
ReplyDelete