1
समस्याओं की भरमार
गरीबी से बेहाल हंै
भ्रष्टाचार बढ़ रहा
रगं बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।
2
अन्याय हो रहा
मौलिकता खत्म है
मानवता का पता नहीं
रंग बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।
3
लालच पल रहा
आपस में लड़ते हैं
संवेदनओं का पता नहीं
रंग बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।
4
अत्याचार हो रहा
मानवता बिकती है
ईमानदारी का पता नहीं
पूछता हूं इस दुनिया से
क्या भगवान को देखा है।
मनोज कुमार राठौर
अब तक गुमान में थे...मगर इसे पढ़ दावे से कह सकते हैं कि नहीं देखा है.
ReplyDeleteभगवान होते , तो ये सब होता भला ?
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