Sunday, February 1, 2009

क्या भगवान को देखा है


1

समस्याओं की भरमार
गरीबी से बेहाल हंै
भ्रष्टाचार बढ़ रहा
रगं बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।

2
अन्याय हो रहा
मौलिकता खत्म है
मानवता का पता नहीं
रंग बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।

3
लालच पल रहा
आपस में लड़ते हैं
संवेदनओं का पता नहीं
रंग बदलती इस दुनिया में
क्या भगवान को देखा है।
4
अत्याचार हो रहा

मानवता बिकती है
ईमानदारी का पता नहीं
पूछता हूं इस दुनिया से
क्या भगवान को देखा है।

मनोज कुमार राठौर

2 comments:

  1. अब तक गुमान में थे...मगर इसे पढ़ दावे से कह सकते हैं कि नहीं देखा है.

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  2. भगवान होते , तो ये सब होता भला ?

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