1
समय ने करवट बदला
जिंदगी तबहा हो गई
हालात ही कुछ ऐसे रहे
उठती खुआइशे सो गई।
2
जब कुछ नया सोचा
किस्मत खराब निकली
समय ही कुछ ऐसा रहा
तसल्ली से बात हो गई।
3
निर्माण की नींव रखी
सपना कांच सा टूटा
रास्ता ही कुछ ऐसा रहा
गुमनाम राहें साथ हो गई।
समय ने करवट बदला
जिंदगी तबहा हो गई
हालात ही कुछ ऐसे रहे
उठती खुआइशे सो गई।
2
जब कुछ नया सोचा
किस्मत खराब निकली
समय ही कुछ ऐसा रहा
तसल्ली से बात हो गई।
3
निर्माण की नींव रखी
सपना कांच सा टूटा
रास्ता ही कुछ ऐसा रहा
गुमनाम राहें साथ हो गई।
मनोज कुमार राठौर
इतनी भी निराशा अछ्हि नही मगर सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
ReplyDeleteनिराशावादी विचार.....पर अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteसमय पर बहुत अच्छी रचना और मैंने अपने ब्लॉग "निरन्तर" में चिठ्ठा चर्चा में आपकी कविता की चर्चा की है .बढ़िया लिखते है आप . आगे भी खूब लिखते रहे.
ReplyDelete