Tuesday, November 4, 2008

भारतीयों और कालों के बीच खाई!

मनोज कुमार राठौर
भारतीय मूल के लोग ऑस्ट्रेलिया से लेकर इंग्लैंड तक रंगभेद के ख़िलाफ़ आवाज उठाते नजर आते हैं लेकिन कीनिया के मूल निवासी भारतीय मूल के लोगों को शोषितों में नहीं शोषकों में गिनते हैं। कीनिया के मूल निवासियों का कहना है कि भारतीय मूल के लोगों ने उनका शोषण किया है, हालाँकि भारतीय मूल के लोग इस बात से इनकार करते हैं।अगर आप सड़क पर चलने वाले आम काले कीनियाई व्यक्तियों से बात करें तो भारतीय मूल के लोगों के बारे में आपको कुछ ज्यादा अच्छे विचार सुनने को नहीं मिलेंगे। एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि कुछ भारतीय तो अच्छे हैं, लेकिन सब वैसे नहीं हैं। उनमें लोगों का शोषण करने की मजबूत फितरत नजर आती है।

बुरा व्यवहार :
एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि भारतीय मूल के लोग कीनिया में जाति व्यवस्था लाना चाहते हैं और उनका व्यवहार यहाँ के मूल काले लोगों के साथ बेहद बुरा है। यह भी सुना कि भारतीय मूल के लोग तो गोरे लोगों से भी बुरे हैं क्योंकि वो अफ्रीकी लोगों को कम वेतन देते हैं, और उन्हें नीचा भी दिखाना चाहते हैं।
करीब-करीब हर व्यक्ति से यही सुनने को मिला कि भारतीय मूल के लोग अपने सघन आबादी वाले इलाकों में रहते हैं और उनमें पार्कलैंड भी एक ऐसा ही इलाका है। भारतीय मूल के लोग आम तौर पर कीनियाई काले लोगों से दूरी बनाकर अपने ही लोगों के बीच रहना पसंद करते हैं।कई लोगों का यह भी मानना है कि भारतीय मूल के लोग सिर्फ अपने मतलब के लिए स्थानीय काले लोगों के साथ व्यापार करते हैं। उनकी यह भी शिकायत है कि भारतीय मूल के लोगों का एक पाँव कीनिया में और दूसरा पाँव भारत में रहता है। अगर देश में कोई संकट आता है तो वो देश से रफूचक्कर होने की पहले सोचते हैं। दिसंबर 2008 में जब कीनिया में चुनाव के वक्त हिंसा भड़की थी तो भारतीय मूल के बहुत से लोगों ने भारतीय उच्चायोग का रुख किया था।

अब तक पराऐ!
कीनियावासी काले लोगों की ये भी शिकायत है कि भारतीय मूल के लोग अपने बच्चों को भी स्थानीय काले लड़के-लड़कियों से ज्यादा मेलजोल बढ़ाने से मना करते हैं, शादी तो बहुत दूर की बात है। कुछ महीने पहले कीनिया के एक लड़के के भारतीय मूल की एक लड़की के साथ संबंधों पर बवाल खड़ा हो गया था।
ज्यादा जानकारी के लिए मैं नैरोबी विश्वविद्यालय पहुँचा और मैंने कुछ काले नौजवानों से पूछा कि क्या उनकी भारतीय मूल की कोई महिला मित्र है, या कोई भारतीय मूल का नौजवान किसी काली लड़की को जीवनसाथी बनाना चाहेगा? उनका कहना था कि वे जरूर चाहेंगे कि कोई भारतीय लड़की उनकी महिला मित्र बने, लेकिन उन्हें पता है कि लड़की के माता-पिता को ये बात पसंद नहीं आएगी। उनका ये भी कहना था कि जब किसी क्लब में भाँगड़ा पार्टी होती है तो भारतीय मूल के नौजवान एक गुट में रहना पसंद करते हैं।विश्वविद्यालय में हमारी मुलाकात हुई मेडिकल छात्रा लॉरेन से। लॉरेन ने हमें बताया कि उनका पहले एक कीनियाई मूल का पुरुष मित्र था, लेकिन इससे उन्हें कभी कोई समस्या नहीं हुई। उनका कहना है कि ये सच है कि भारतीय संस्कृति में ढेर सारे प्रतिबंध हैं। वो कीनिया में पली-बढ़ीं हैं और खुद को पहले कीनिया का ही मानती हैं।

दरक रहीं हैं दीवारें :
लॉरेन के दोस्त सुहेल की महिला मित्र एक कीनियाई काली लड़की है और वो उससे शादी करना चाहते हैं। वो मानते हैं कि एशियाई लोग अलग गुटों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं और उन्हें नहीं मालूम कि ऐसा क्यों है। कीनिया में पले-बढ़े इन नौजवानों की सोच शायद अपने माता-पिता या दादा-दादी से अलग है।हम जा पहुँचे ईस्ट एफएम जो नैरोबी का एक प्रसिद्ध एशियाई रेडियो स्टेशन है। इस स्टेशन के मालिकों ने कुछ साल पहले मिस इंडिया कीनिया प्रतियोगिता शुरू की थी। ईस्ट एफएम के सीनियर प्रजेंटर गुरप्रीत ने बताया कि उनके कार्यक्रम में कई एशियाई लड़कियाँ फोन करके पूछती हैं कि वो किसी कीनियाई काले पुरुष के प्रति आकर्षित हैं और वो क्या करें। गुरप्रीत कहते हैं कि ये एक संवेदनशील मुद्दा है। अपने कार्यक्रम में वो अपने सुनने वालों से आग्रह करते हैं कि वो जवाब दें। उधर, भारतीय मूल के लोगों का कहना है कि उनका संपर्क काले समुदाय के लोगों से है तो, लेकिन शादी-ब्याह कुछ अलग-सी बात है।अफ्रीका हिंदू काउंसिल के अध्यक्ष मूलजीभाई पिंडोलिया कहते हैं कि काले कीनियाई लड़कों और भारतीय मूल की लड़कियों के बीच शादी कैसे हो सकती है। वो कहते हैं कि अधिकतर कीनियाई पुरुषों की एक से ज्यादा पत्नियाँ होती हैं क्योंकि कीनियाई समाज में एक से ज्यादा शादी की इजाजत है।
भारतीय मूल के लोग कहते हैं कि उन्होंने कीनिया के लिए बहुत कुछ किया है और उन्हें किसी समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराना एक आसान रास्ता है।

3 comments:

  1. हमारे लोगों के बारे में यह सब पढ़ कर कितना बुरा लग रहा है. बहुत ही सुंदर तरीके से लिखा गया है. आभार.
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    बस हो गया काम !!

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  2. सामाजि‍क आर्थि‍क और राजनैति‍क स्‍थि‍ति‍ देश की जो पहचान बनाती है, वही उसके नागरि‍कों के मानस में ऊँच-नीच का भाव भरती है, काले लोग तो भारत में भी कम नहीं है, लेकि‍न उनसे दूरी बनाने का असली कारण भारतीयों में जाति‍ एवं उसका आर्थि‍क स्‍तर होता है।
    आपने बहुत रोचक ढ़ंग से केनि‍याई समाज में भारतीयों की मानसि‍कता और वहॉ के रहन-सहन की जानकारी दी है।

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  3. ये कहना सरल है कि नहीं नहीं भारतीय नस्‍लवादी नहीं होते पर अधिकांश अनिवासी भारतीयों के अनुभव बताते हैं कि सच्‍चाई ये है कि अफ्रीकी मूल के लोगों को लेकर भारतीयों की प्रतिक्रिया विकर्षण से लेकर घृणा तक होती है।

    संभव है अंग्रेजों के लंबी सोहबत की वजह से ऐसा हो पर अब ये गहरे पैइ गया है।

    मुझे कोई भारतीय अमेरिका से अफ्रीकी-अमेरिकी को ब्‍याह कर लाता नही दिखा।

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