मनोज कुमार राठौर
1
उठा कलम जरा कुछ लिख दे
तेरी लिखाई में खुदा बसता है
कलम की नौक पर सच की धार चला
तू लिख, तुझे कौन मना करता है।
2
हर शब्द में ताकत भर दे
तेरी शब्दों में भगवान बसता है
नीम से शब्दों को शहद लगाता चल
तू लिख, तुझे कौन मना करता है।
3
लेखक तू है, सब जग जाने
कलम तेरी है, सब जग माने
काहे तू फिर डरता है
तू लिख तुझे कौन मना करता है-2
शब्दों की ताकत का अहसास...ही सृजन की ओर लेकर चलता है। बधाई!
ReplyDeleteनीम से शब्दों को शहद लगाता चल
ReplyDeleteतू लिख, तुझे कौन मना करता है।
वाह...बड़े हुनर का काम है ये...और आप ने क्या खूब किया है...बधाई...
नीरज
Achchha likha hai badhai.
ReplyDeleteBadhiya...!
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteहर शब्द में ताकत भर दे
ReplyDeleteतेरी शब्दों में भगवान बसता है
नीम से शब्दों को शहद लगाता चल
तू लिख, तुझे कौन मना करता है।
बहुत खूब.बधाई स्वीकार करे
रचना अच्छी लगी.
ReplyDeleteधन्यवाद.
आप लिखते रहो, कोई मना नहीं करता. बढ़िया रहा.ईमेल से यदि पूरी कविता बता दोगे तो फिर ब्लॉग पर आने कि आवश्यकता क्या रहेगी?
ReplyDeletehttp://mallar.wordpress.com
बिल्कुल सही बात कही आपने, 'तू लिख, तुझे कौन मना करता है'.
ReplyDeleteशब्दों में बहुत ताकत होती है, उसे पहचान और लिख, तुझे कौन मना कर सकता है?
bahut khoob........
ReplyDeleteek shakti ka sanchar hota hai aapki panktiyo se........