Wednesday, February 4, 2009

समय ने करवट बदला

1
समय ने करवट बदला
जिंदगी तबहा हो गई
हालात ही कुछ ऐसे रहे
उठती खुआइशे सो गई।

2
जब कुछ नया सोचा
किस्मत खराब निकली
समय ही कुछ ऐसा रहा
तसल्ली से बात हो गई।

3
निर्माण की नींव रखी
सपना कांच सा टूटा
रास्ता ही कुछ ऐसा रहा
गुमनाम राहें साथ हो गई।


मनोज कुमार राठौर

3 comments:

  1. इतनी भी निराशा अछ्हि नही मगर सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई

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  2. निराशावादी विचार.....पर अच्‍छा लिखा है।

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  3. समय पर बहुत अच्छी रचना और मैंने अपने ब्लॉग "निरन्तर" में चिठ्ठा चर्चा में आपकी कविता की चर्चा की है .बढ़िया लिखते है आप . आगे भी खूब लिखते रहे.

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