- मनोज राठौर
गिरिजाघरों पर किए जा रहे हमले में हिन्दु संगठनों को दोषी ठहराया जा रहा है, लेकिन यह असत्य है। इन हमलों को यदि गंभीरता से लिया जाए तो इसका जिम्मेदार स्वयं इसाई समुदाय है।
ईसाई समुदाय अंग्रेजों के सिद्वांतों पर कार्य कर रहा है। जिस तरह अंग्रेजों ने भारत देश को शनैः शनैः अपना गुलाम बनाया थाए उसी नीति पर ईसाई समुदाय काम कर रहा है। वह चाहता है कि हिन्दुस्तान को यदि गुलाम बनाना है तो सबसे पहले उसकी जनता का धर्मांतरण किया जाए। पर वह ऐसा करने में असफल हो रहे हैंए क्योंकि यदि वह ऐसा काम करते हैं तो उसका विरोध जनता द्वारा किया जाता है। भारत के हर एक कोने में ईसाई समुदाय बसा है और उसके द्वारा संचालित कई संस्थाएं जनता के लिए काम भी कर रही हैं। पर जब धर्मांतरण की बात आती है तो उसका खामियाजा भी उसे ही भुगतना पड़ता है।
मैं भी ईसाई समुदाय द्वारा संचालित डगलस हाई सैकण्डरी स्कूल से अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की। जब मैं वहां 10वीं कक्षा में पहुंचा तो मुझे ईसाइयों की नीति के बारे में पता चला। हमारी एक अतिरिक्त कक्षा लगती थी, जहां हमें बाइबिल के बारे में बताया जाता था। प्रत्येक रविवार वहां चर्च के कार्यक्रम होते थे। यहां हजारों की संख्या में लोग आते थे। यह प्रक्रिया यूं ही चलती रही, उस समय मैंने अखबार में एक फोटो देखा। वह फोटो किसी ओर का नहीं बल्कि मेरे प्राचार्य महोदय जी का था। जब मैंने वह खबर पड़ी तो पता चला कि वह गोविन्दपुरा स्थित एक चर्च में गये थे। वहां बजरंग दल ने उन पर हमला किया। हमले का कारण था धर्मांतरण। बजरंग दल का आरोप था कि चर्च में धर्मांतरण का काम चल रहा था। मैंने इस बात को अंधविश्वास मानाए क्योंकि कोई किसी का धर्म परिवर्तन कैसे कर सकता है।
भोपाल से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव में मेरे रिश्तेदार रहते हैं। वहाँ एक ईसाई समुदाय का चर्च भी है। मुझे अपने रिश्तेदार से कुछ काम था अतः मैं वहां गया। अपने काम के साथ मुझे अपने प्राचार्य की घटना भी याद आ गई। मैंने वहां स्थित कुछ लोगों से बात की। जिससे मुझे पता चला कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि चर्च के फादर उनका निःशुल्क इलाज और बच्चों को पढ़ाने का कार्य भी करते हैं। लेकिन उन्होंने मुझे एक और बात बताई। वहां के लोगों से कहा जाता है कि आप सब ईसाई धर्म को अपना लो। तब ही तुम्हें ईश्वर की प्राप्ति होगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि ईसाई धर्म इतना नीचे गिर सकता है।
कर्नाटक, बैंगलुरु और उड़ीसा के गिरिजाघरों में जब आग लगाने की घटना मैंने अखबार में पड़ी तोए सभी के पीछे एक ही कारण छिपा हुआ थाए धर्म परिवर्तन। इस पर भी मैं ईसाइयों के हित में थाए परन्तु सतना में जो घटना हुई हैए उससे मेरे विचार एकदम बदल गए। सतना में क्रिस्तुकला मिशन हायर सेकंडरी स्कूल में कार्यरत 18 ड्राइवरों को नौकरी से निकाल दिया गया। वहां की प्रिंसिपल फादर वर्गीस ने कहा कि दरअसल स्कूल के पास वाहन नहीं है इसलिए ड्राइवरों को हटाया गया है। पर मामला कुछ और ही था जिसके कारण ड्राइवरों को निकाला गया। सभी 18 ड्राइवरों ने एक जुबान में कहा कि एक दिन फादर वर्गीस हम सभी को सतना नदी पर ले गए तथा सभी को पानी में डुबकी लगाने को कहा और स्वयं ने भी डुबकी लगाई। डुबकी लगवाने के बाद फादर ने कहा कि आज से तुम्हारे माता.पिता मर चुके हैंए तुम मरियम की संतान हो। इस तरह जबरिया धर्म परिवर्तन कराए जाने का ड्राइवरों ने विरोध किया। इस पर बिना कारण बताए स्कूल प्रबंधन ने नौकरी से हटा दिया। इस तरह धर्मांतरण के कई मामले खबरों की सुर्खियां बने। कर्नाटक सरकार और केंद्र सरकार ने इन घटनाओं को रोकने के लिए आरोपियों पर कानूनी धाराएं भी लागू की। पर सरकार इन घटनाओं के कारणों को पता करने पर जोर नहीं दे रही है।ईसाई समुदाय पर हमले के पीछे एक ही कारण निकल कर आता है कि वह लोगों को धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करता है। ईसाई पर जो हमला हो रहा है वह सही है या गलतए इसका फैसला तो जनता कर ही देती है। यदि ईसाई समुदाय अपनी यह हरकत छोड़ दे तो उन पर ऊंगली तक कोई नहीं उठाएगा।
लोगों के धर्म पर नज़र मत डालो
bhai sahap karan kitne hi gina dijiye lekin kisi ki hatya galat hi hai. kya 1 hindu kisi ko naye pran de sakta hai? nahi. to kisi ki jan lene ka bhi use adhikar nahi hai.
ReplyDeleteघटनाओं के पीछे की असली हकीकत ताओ नही जानता जो की मीडिया दिखा रहा है .
ReplyDeleteबलात अथवा लालच देकर धर्म परिवर्तन ग़लत है और किसी की जान लेना भी ग़लत है . चाहे वह फिर किसी भी धर्म अथवा सम्प्रदाय की बात हो .
aapki post ka title tha ........sahi ya galat?
ReplyDeleteaapne tark diye
aur ab finally kya?
kya aap mante hain ye hamle sahi hain?