Wednesday, October 1, 2008

नाम तो है पाक, पर काम है नापाक












मनोज कुमार राठौर
भारत के प्रत्येक नागरिक को पता है कि आतंकवादी देश कौन सा है?...फिर भी खामोशी क्यों? अब हमें यह चुप्पी तोड़नी होगी। पाकिस्तान आतंकवादी घटना को करने से भले ही इंकार करता हो लेकिन अब किसी देश से यह छिपा नहीं है कि पाकिस्तान ही आतंकवाद का जनक है। इस देश से ही जेहाद के नाम पर सैकड़ों आतंकवादी संगठन बनाए जा रहे हैं। क्या यह पाकिस्तान इन आतंकवादी से सुरक्षित है? पिछले दिनों पाकिस्तान में कई बम धमाके हुए जिसमें कई लोगों की जाने गई। क्या वहां मरने वाले लोग आतंवादी थे या फिर मारने वाले? इसका जबाव तो पाकिस्तान ही दे सकता है। आतंकवादी का न तो कोई धर्म होता है और न कोई महजब। वह जिस लड़ाई के लिए आतंकवाद का सहारा ले रहे हैं, उस वजह को हिन्दुस्तान जानता है। जम्मू कश्मीर को तो वह नैतिक युद्ध से हासिल नहीं कर सकता है इसलिए उसे प्राप्त करने के लिए आतंकवाद का सहारा लेता है। पर भारत इस आतंकवादी घटनाओं से डरने वाला नहीं है। जब हमारा देश विश्व शक्ति अमेरिका से परमाणु करार कर सकता है तो इस पर भी कड़ा कदम उठा सकता है। पाकिस्तान यदि समय रहते अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो भारत के पास एक ही रास्ता बचता है, वह है पाकिस्तान पर हमला।

किसी ने सही कहा है कि मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। जब भी आतंकवादी खुलेआम कहते है कि वह इस्लाम की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक की आहुति दे देगें, लेकिन वह यह नहीं जानते हैं कि जब धमाके किये जाते है तो उसमें मरने वाले लोगों में मुस्लमान भाई भी शामिल होते हैं। क्या वह असली इस्लामी नहीं हैं? षर्म करो ऐसे मुस्लमानों जो इस्लाम धर्म को बदनाम करने पर तुले हो। भारत के मुस्लमानों से पूछो कि इस्लाम धर्म क्या है? हिन्दुस्तान में पाकिस्तान से भी ज्यादा मुस्लमान निवास करते हंै। वह चाहे तो भारत में जेहाद के नाम पर बगावत कर सकते हैं, परन्तु वह ऐसा नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें पता है कि इस्लाम धर्म क्या है। पाकिस्तान में अब ऐसा लगता है कि इस्लाम धर्म की परिभाषा को बदल दिया गया है। इस परिभाषा को बदलने वाले ओर कोई नहीं, बल्कि उसके अपने ही है।
कल रूस को बिखरते देखा था
अब ईराक को टूटता देखेगें
हम बर्क-ए-जेहाद के शोलों में
पाकिस्तान को जलता देखेगें।
पाकिस्तान की इस आतंकवादी फैक्ट्री में ऐसे बम बनाए जा रहे हैं जिनके धमाकोें से भारत का दिल तक दहल गया। लगता है कि इन धमाकों की आवाज भारत में नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में सुनाई देगी जिसका जीता जागता उदाहरण है अमेरिका का वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर हमला। इस आतंकवादी नौका को जो भी चला रहा है वह यह जान ले कि जब कुत्ते की मौत आती है तो वह सभी पर भौंकता है और बाद में लोग उसे पागल करार देकर मार देते हंै। भारत में सीरियल बम धमाकों को आतंकवादी अपनी सफलता समझते हैं। इस सफलता से उनके आका तो बहुत खुश होगें क्योंकि वह आगे से बार तो कर नहीं सकते इसलिए पीछे से ही सही। चेतावनी देकर हमला करने से उनका सीना जरूर फूल गया होगा। पर भारत की एकता पर चोट करने वाले यह कीदड़ अब कुत्ते की मौत मारे जाएगें।

पहले से गरीबी की मार झेल रहा है। शायद हमारा पड़ोसी देश यह भूल गया है कि जब वह मुस्लिमांे को लेकर भारत से अलग हुआ था तो सुनसान जमीन पर नंगा खड़ा हुआ था। हमनें 35 करोड़ रुपए दिए तब जाकर उसके नंगे शरीर पर कपड़े आए। आज देखों वही भिखारी देष अपनी आतंकिय सेना लेकर भारत को संाप्रदायिकता के नाम पर लड़वाना चाहता है, जिससे भारत की एकता डेमेज़ हो जाए और इसका फायदा वह ले सके, लेकिन उसके यह नापाक ईरादे कभी भी सफल नहीं होगें क्योकि भारत में अनेकता होने के बाद भी एकता है।
भारत चाहे तो पाक को चंद मिनटों में अपना गुलाम बना सकता है पर वह निर्दोषों की जान नहीं लेना चाहता इसलिए बार-बार समझोता करता है। पर अब मुझे ऐसा लगता है कि इनके समझ में नहीं आएगी। अब इन्हें पूरी फिल्म दिखाने की जगह बस एक छोटा से टेलर दिखाया जाए ताकि इनके दिलों में खौफ पैदा हो, वरना यह साले सिर पर चढ़कर ताडंव करेगें। इस आतंकवादी बीमारी को भारत से जड़ से खत्म करना होगा।
आतंकवाद समस्या है हमारी
दूर करने की जिम्मेदारी है हमारी।


2 comments:

  1. बहुत खूब, लेकिन भाई आप "सांप्रदायिक" कहलायेंगे… पाक या बांग्लादेश के खिलाफ़ कुछ नही कहिये, हां बजरंग दल के खिलाफ़ लिखेंगे तो आपका "ब्लाक" (ब्लॉग) हिट हो जायेगा

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  2. क्या बात है मनोज भाई लगे रहो. आपका प्रयास सराहनीय ही नही बल्कि प्रसंशनीय भी है ( प्रशांत शर्मा )

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