उठो वीर अब तुम सब जागो, जागो हिन्दुस्तान।
नई सदी का दौर चला है, न घटने देंगे मान।
उठो वीर अब तुम...
खून बहेगा बह जाने दो, दोष लगेगा लग जाने दो।
भाई मिटेगा मिट जाने दो, उम्र घटेगी घट जाने दो।
देश प्रेम की ज्योत जली है, सब कर दो बलिदान।।
उठो वीर अब तुम...
राजनीति के दौर से बचना, इसके जाल में तुम मत फंसना।
सत्य त्याग की आग में जलकर, एक नया इतिहास है रचना।
प्रेम प्यार से बहुत हो चुका, अब निकालो तीर कमान।।
उठो वीर अब तुम...
धर्म पुकारे तुमको आकर, राजनीति से नजर बचाकर।
घाटी में सुलगे अंगारे ,गद्दारों को घर में पाकर।
आतंकी सारे गद्दारों के पल में हर लो प्राण।
उठो वीर अब तुम...
यह कविता मेरे घनिष्ट पत्रकार मित्र प्रशांत शर्मा द्वारा लिख गया है।
नई सदी का दौर चला है, न घटने देंगे मान।
उठो वीर अब तुम...
खून बहेगा बह जाने दो, दोष लगेगा लग जाने दो।
भाई मिटेगा मिट जाने दो, उम्र घटेगी घट जाने दो।
देश प्रेम की ज्योत जली है, सब कर दो बलिदान।।
उठो वीर अब तुम...
राजनीति के दौर से बचना, इसके जाल में तुम मत फंसना।
सत्य त्याग की आग में जलकर, एक नया इतिहास है रचना।
प्रेम प्यार से बहुत हो चुका, अब निकालो तीर कमान।।
उठो वीर अब तुम...
धर्म पुकारे तुमको आकर, राजनीति से नजर बचाकर।
घाटी में सुलगे अंगारे ,गद्दारों को घर में पाकर।
आतंकी सारे गद्दारों के पल में हर लो प्राण।
उठो वीर अब तुम...
यह कविता मेरे घनिष्ट पत्रकार मित्र प्रशांत शर्मा द्वारा लिख गया है।
उत्तम कविता ! अच्छी लगी। और भी लिखिये।
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