मनोज कुमार राठौर
आतंकवाद बनाम भारत के इस फाइनल मैच में आखिरकार जीत आतंकवाद की हुई है, जो भारत के लिए एक चुनौती है। आतंकवाद की टीम के कप्तान इंडियन मुजाहिदीन ने अपनी टीम को आपरेशन ‘बेड’ के जरिए जीत दिलाई। यह हार भारत के लिए काफी शर्मनाक है, क्योंकि भारत को इस आपरेशन की जानकारी पहले से थी जिसे उसने गंभीरता से नहीं लिया। अब अगला मैच जो खेला जाएगा, वो तो चोकने बाला होगा क्योकि इस मैच में आतंकवादी अपनी दूसरे आपरेशन ‘बेडमेन‘ की सहायता लेगे। अब देखना यह होगा कि क्या भारत इस मैच हो हराता है या फिर जीत हासिल करता है? यह तो भारत की रणनीति ही बता सकती है।
आतंकवाद बनाम भारत के इस फाइनल मैच में आखिरकार जीत आतंकवाद की हुई है, जो भारत के लिए एक चुनौती है। आतंकवाद की टीम के कप्तान इंडियन मुजाहिदीन ने अपनी टीम को आपरेशन ‘बेड’ के जरिए जीत दिलाई। यह हार भारत के लिए काफी शर्मनाक है, क्योंकि भारत को इस आपरेशन की जानकारी पहले से थी जिसे उसने गंभीरता से नहीं लिया। अब अगला मैच जो खेला जाएगा, वो तो चोकने बाला होगा क्योकि इस मैच में आतंकवादी अपनी दूसरे आपरेशन ‘बेडमेन‘ की सहायता लेगे। अब देखना यह होगा कि क्या भारत इस मैच हो हराता है या फिर जीत हासिल करता है? यह तो भारत की रणनीति ही बता सकती है।
बेंगलूर और इलाहाबाद में हुई सीरियल बम धमाकों के दौरान भारत की खुफिया एजेंसी को एक ई-मेल मिला था जिसमें आतंकवादियों ने आपरेशन बेड का जिक्र किया था। आजतक टीवी चैनल पर आपरेशन बेड का खुलासा किया गया जिसमें कहा गया था कि दिल्ली धमाका आपरेशन बेड का हिस्सा है। बेड याने बेंगलूर, अहमदाबाद और दिल्ली। भारत सरकार को भी यह सूचना थी कि अब आतंकवादियों का अगला निशाना दिल्ली है। मगर दिल्ली का प्रशासन इस बात को हल्के में ले रहा था, जिसका खमियाजा उसे 35 लोग की जान गवाकर देना पड़ा। देश के दिल पर यह ऐसा घाव है जिसकी पूर्ति मुआवजे की राशि से नहीं की जा सकती। इस धमाके में मरने वालों को दिल्ली सरकार ने पांच लाख और केंद्र सरकार ने तीन लाख रुपए दिये। आतंकवाद में होने वाले हर धमाके में जनता का मुंह बंद करने के लिए उन्हें यह मुहावजा दिया जाता है, ताकि लोग इस बात को भूल जाए, पर शायद सरकार यह नहीं जानती है कि जनता की भी आंखे खुल गई है। अब वह भी आतंकवाद का खातमा चाहती है। मीडिया के सचेत करने के बाद भी सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? हालांकि गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने कहा है कि सरकार के पास हमेशा आतंकवादी हमलों की सूचना होती है लेकिन समय और स्थान के बारे में पता नहीं होता। शायद हमारे गृहमंत्री को यह नहीं पता है कि यदि आतंकवादी अपने पूरे मनसूफे साफ कर देगें तो सरकार का काम क्या रहेगा? अब भारत में आतंकवाद का नंगा नाच देखना आम हो गया। आतंकवाद इतने बेखोफ हो गये हैं कि हमले से पहले भारत को चेतावनी देते है। अब तो ऐसा लगता है कि आतंकवादी भारत में धमके करने को केवल एक खेल समझते हैं जिसमें भारत को हराने में उनहे कोई खास मशकत नहीं करना पड़ती है। भारत को आतंकवाद की इस जंग को जितना है तो सबसे पहले उसे चौंकनना रहना पडे़गा।
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