1
इस मतलबी दुनिया में
सियाने लोग बसते हैं
ऊपरी मन से हंसते
अंदर से साजिश रचते हैं।
इस मतलबी दुनिया में
सियाने लोग बसते हैं
ऊपरी मन से हंसते
अंदर से साजिश रचते हैं।
2
दिखावेे तो बहुत हैं
इस रंग बदलती दुनिया में
वादे तो बहुत करते
पर निभाने से डरते हैं।
दिखावेे तो बहुत हैं
इस रंग बदलती दुनिया में
वादे तो बहुत करते
पर निभाने से डरते हैं।
3
कहते हैं काम हो जाएगा
हम देख राह थकते हैं
वादे तो निभाते नहीं
और सर पर हाथ रखते हैं
4
अदालत में भगवान है
सभी को सजा देगें
मगर ऊपर से वह भी
तमाशा देख हंसते हैं।
कहते हैं काम हो जाएगा
हम देख राह थकते हैं
वादे तो निभाते नहीं
और सर पर हाथ रखते हैं
4
अदालत में भगवान है
सभी को सजा देगें
मगर ऊपर से वह भी
तमाशा देख हंसते हैं।
मनोज कुमार राठौर
क्या बात है भाई ...बहुत खूब ...मजा आ गया
ReplyDeleteअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर....आप सबों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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