क्षमा करें मैं आपसे सहमत नहीं, कम से कम आपने जो लिखा है वो रेलवेंट नहीं है। साधन या तकनीक बदल जाने से आत्मा नहीं बदला करती। आत्मा बदलने के लिे दूसरे ही कारक जिम्मेदार हैं।
रास्ता वही जो किसी दिशा की ओर ले जाए। बात ऐसी हो जो सभी के मन को भाए। ऐसा ही ज़ज्बा लेकर मैंने पारखी नज़र नाम का ब्लाक बनाया है। जिसमें जांची, परखी और सत्य बातों को सहज ढंग से ब्लाक में प्रकाशित किया जाएगा। मेरा पत्रकारिता से नज़दीक का नाता रहा है। मेरी लिखने और पढने में रूचि है। पत्रकारिता के माद्यम से मैं लोगों को जागरूक करना चाहता हूं क्योकि लेखक का हाथियार उसकी कलम होती है। मैं पत्रकारिता को अपना भगवान मानता हूं और उसकी पूजा, अपनी रचनाओं को समर्पित करके करता हूं। मैंने इसकी पूजा निरंतर रखने के लिए एक मंदिर की स्थापना की है जो पारखी नज़र ब्लाक के नाम से प्रदर्शित है। मैंने पत्रकारिता में मास्टर डिग्री की है और पत्रकारिता क्षेत्र में कार्यरत हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे ब्लाक को सभी पाठक पढे और इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे। पत्रकारिता क्षेत्र से जुडे लोगो और लिखने में रूचि रखने पाठकों के लिए मेरा ब्लाक खुला है। आप अपनी राय ब्लाक पर या फिर मेरी ईमेल आईडी पर प्रेषित कर सकते हें।
होंसला आसमा छूने का हो तो ।
एक छोटी सी उडान काफी है।।
परिभाषाएं नहीं बदला करतीं ,लोग बदलते हैं ,उनके विचारधारा बदलती है । पत्रकार भ्रष्टाचार पर नहीं लिख रहे बल्कि भ्रष्ट सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं ।
ReplyDeleteक्षमा करें
ReplyDeleteमैं आपसे सहमत नहीं, कम से कम आपने जो लिखा है वो रेलवेंट नहीं है। साधन या तकनीक बदल जाने से आत्मा नहीं बदला करती। आत्मा बदलने के लिे दूसरे ही कारक जिम्मेदार हैं।
आप ने बिलकुल सही लिखा है। लोगों के अपने अपने विचार होते हैं। मैं आप से सहमत हूँ।
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