Sunday, January 25, 2009

अदालत में भगवान है...


1
इस मतलबी दुनिया में
सियाने लोग बसते हैं
ऊपरी मन से हंसते
अंदर से साजिश रचते हैं।

2
दिखावेे तो बहुत हैं
इस रंग बदलती
दुनिया में
वादे तो बहुत करते
पर निभाने से डरते हैं।
3
कहते हैं काम हो जाएगा
हम देख राह थकते हैं
वादे तो निभाते नहीं
और सर पर हाथ रखते हैं

4
अदालत में भगवान है
सभी को सजा देगें
मगर ऊपर से वह भी
तमाशा देख हंसते हैं।

मनोज कुमार राठौर

2 comments:

  1. क्या बात है भाई ...बहुत खूब ...मजा आ गया

    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  2. बहुत सुंदर....आप सबों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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