Thursday, January 15, 2009

पर दूसरों से कुछ कह नहीं पाए

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रोकने की तमन्ना सबकी थी
पर हम रूक नहीं पाए
हस्तंे - हस्तंे सह लिया सबको
पर दूसरों का दुख सह नहीं पाए
गलतियाँ सब ने की है
पर हम रो नहीं पाए
धोखा सह लिया सबका
पर दूसरों का दर्द सह नहीं पाए

मजाक सब ने उड़ाया था
पर हम कह नहीं पाए
दर्द ले लिया सबका
पर दूसरों को गम दे नहीं पाए

दर्द सब ने दिया है
पर हम बता नहीं पाए
मौहब्बत की है सबसे
पर दूसरों को दुख दे नहीं पाए

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हालात सुधरने लगेे हैं
पर लोग देख नहीं पाए
किसी के बारे में क्या कहूं
पर दूसरों से कुछ कह नहीं पाए
-मनोज कुमार राठौर

4 comments:

  1. सुन्दर रचना. धन्यवाद.

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  2. मजाक सब ने उड़ाया था
    पर हम कह नहीं पाए
    दर्द ले लिया सबका
    पर दूसरों को गम दे नहीं पाए
    बहुत सही लिखा है अपने
    जारी रखें

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  3. अच्छे भाव उकेरे हैं.

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